कितना कोमल हैं हुस्न उसका
ये तो जानता खुदा भी नहीं
हमने चाहा हैं उसकी रूह को
जिस्म तो कभी चाहा ही नहीं
The post जिस्म नहीं रूह को चाहा हैं appeared first on Shayari.
कितना कोमल हैं हुस्न उसका
ये तो जानता खुदा भी नहीं
हमने चाहा हैं उसकी रूह को
जिस्म तो कभी चाहा ही नहीं
The post जिस्म नहीं रूह को चाहा हैं appeared first on Shayari.