क्यों कभी किसी के काबिल न हो सका
खुशी में खुद अपनी शामिल न हो सका
वो दाखिल होता गया मुझ में हर दफ़ा
मैं अपने ही दिल में दाखिल न हो सका।
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क्यों कभी किसी के काबिल न हो सका
खुशी में खुद अपनी शामिल न हो सका
वो दाखिल होता गया मुझ में हर दफ़ा
मैं अपने ही दिल में दाखिल न हो सका।
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